MATERIA MEDICA 1
ACETIC AC.
Acidum aceticum
Key uses
• Breathlessness
• Diabetes
• Fainting
• Hemorrhaging
• Postoperative exhaustion
• Severe burning pains and tenderness in the stomach
• Water retention
Remedy profile
MENTAL SYMPTOMS
Aceticum acidum is benefit to people who often sigh due to feelings of depression (mental illness associated with mood), anxiety (intense worry and fear about something), or irritability, and are also prone to forgetfulness (memory loss).
PHYSICAL SYMPTOMS
They are often anemic (lack of blood), with pale (ill face skin), waxy, clammy skin and intense thirst. Despite profound sleepiness (desire to sleep), they may find it difficult to sleep. Debilitation (feeling weak) and emaciation (excessively thin) are the key Symptoms of this remedy. It is often prescribed to treat fainting (loss of consciousness), breathlessness, water retention, diabetes, or great exhaustion (feeling overtired) following an injury, an operation, or hemorrhaging (release of blood). Severe burning pains and tenderness (pressure cause pain) in the stomach can also be treated using Aceticum acidum. symptoms such as sour-tasting belches, vomiting, and profuse salivation, or by the classic debilitation (feeling weak) symptoms.
MODALITIES
Symptoms Amelioration - lying on the stomach, belching, potatoes.
Symptoms Aggravation - In the morning, movement, overexertion, lying on the back; bread and butter, vegetables, cold drinks, wine.
MATERIA MEDICA 2
Aceticum Acidum
यह बहुमूत्र (diabetes) और उदरी रोग में व्यवहार के लिये ही विशेष प्रसिद्ध है।रक्तहीनता, चेहरा सफेद हो जाना, ज्वर (fever) के सिवा और सभी रोगों में तेज प्यास, पाकस्थली (stomach) का कर्कट ( कैन्सर ), जल जाना, कीड़े का काटना, तिल या मसे, पाँवके घ े आदि रोगों की भी यह बहुत बढ़िया दवा है । नश्तर लगवाने के समय दहल जाने ( shock ) की वजह से किसी भी उपसर्ग में इसका प्रयोग होता है (दहल जाने के कारण वमन होने पर आर्निका) स्नायु में चोट पहुँचकर घनुष्टङ्कार होनेपर हाइपेरिकम ) बहुमूत्र (diabetes) – रोगी को तेज प्यास, शरीरका चमड़ा फीका और सूखा, शरीर में भयानक दाह, रह-रह कर पसीना होना, साफ पानी की तरह बहुत बार पेशाब होना और उसके साथ ही पतले दस्त आना, वमन, शोथ इत्यादि लक्षण रहनेपर ( न रहनेपर भी ) यह ऐसिड फायदा करती है। नेट्रम सल्फ देखें ।
शोथ और उदरी - सारे शरीर में शोथ या उदरीके साथ पतले दस्त आना और वमन सिर्फ एसेटिक ऐसिड में ही है, दूसरी दवामें नहीं । एपिस के शोथ या सूजन में रोगी को बहुत थोड़ी मात्रा में पेशाब होता है । उस पेशाब में अण्डलाल मिला रहता है और वह गँदला रहता है। लियाट्रिस – अधिकांश । शोथ रोग में लाभदायक है। ऐसेटिक ऐसिड में बहुत ज्यादा परिमाण में पेशाब होनेके साथ-ही-साथ कमर में दर्द रहता है—यह दर्द पट सोनेपर घटता है । अतिसार के साथ पैर और पैर के तलवे में सूजन आदि में. ऐसिड ऐसेटिक लाभदायक है.
पाकस्थली और उदर - पेट फूलना, पेट में शूलका दर्द और जलन । पाकस्थली(abdomen) और कले जे में अत्यधिक जलन, शरीर ठण्डा और कपाल में ठण्डा पसीना ।
रक्तहीनता - पतले दस्त, रात के समय पसीना, खाँसी वगैरह कई बीमारियों में और प्रसूति की रक्तहीनता (एनिमिया) में लाभदायक है रक्तस्राव - विनिगर में कपड़े का टुकड़ा य़ा रूई तर करके उसे दबा रखने से प्रायः सब तरहका रक्तस्राव बन्द हो जाता है। यह नाक, फेफड़ा, पाकस्थली, आँतें, जरायु आदि शरीर के सभी द्वारों से होनेवाले रक्तस्राव (hemorrhage) की महौषध है ।ऋतु (menses) के समय और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव में भी लाभ पहुँचाती है (हैमामेलिस देखिये) । यदि शरीर की किसी एक जगह से होनेवाला रक्तस्राव बन्द होकर दूसरी जगह से होने लगे, या गिर जानेके कारण अथवा चोट लगकर नाक से रक्तस्राव हो, तो भी इससे फायदा होता है (फिटकरीकी बुकनी या उसके जलसे भी रक्त बन्द होता है ) ।
ज्वर- धीमा बुखार और उसके साथ ही रात में पसीना ( सलफर), हेक्टिक ज्वर ( क्षयज्वर ) – उसके साथ ही अतिसार (diarrhea), रात में पसीना, श्वास में तकलीफ, शरीर का धीरे-धीरे सूखते जाना, निम्नाङ्गका (lower limbs) शोथ या सूजन, कभी-कभी बहुत ज्यादा पसीना आना ( चायना ) । ज्वर के समय रोगी को प्यास बिलकुल ही नहीं रहती । सम्बन्ध - ऐसिड ऐसेटिक प्रायः सभी तरह की बेहोश करनेवाली दवाओं ( क्लोरोफॉर्म आदि ) के सूँघनेके दोषका प्रतिविष है । रक्तस्राव में – चायनाके और शोथ में – डिजिटेलिसके बाद इसका प्रयोग करनेसे ज्यादा फायदा होता है। जीर्ण-शीर्ण ढीली पेशीवाले रक्तहीन फीके रोगीपर इसकी अधिक क्रिया होती है । 'स्टीम ऑटोमाइजर' नामक यन्त्र में या किसी दूसरे प्रकार के 'साइडर-विनिगर' में ( यह भी एक तरह का ऐसेटिक ऐसिड है ) भाफ बनाकर उस भाफको नाक-मुँह की राह से ग्रहण करने से - बहुत कठिन प्रकारके क्रूप ( काली खाँसी ) और डिफ्थीरिया रोग भी घट जाते हैं। श्वास रोग में गले में घड़घड़ाहट होती है और आवाज होती है ।
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