MATERIA
MEDICA 1
AETHUSA
Aethusa
cynapium
Key uses
• Anxiety with associated diarrhea
• Confused state of mind with scattered thoughts (confused, disordered thoughts)
• Marked dullness and sluggish (lazy) mental state
• Milk intolerance in children.
Remedy profile
Mental Symptoms
Aethusa is best suited to people who are often characterized by poor concentration (trouble focusing) and a tendency to be easily distracted. They are generally reserved, alienated (Not a part of something), reclusive, and irritable. Key symptoms associated with Aethusa include a confused state of mind with scattered thoughts (confused, disordered thoughts), They may talk to themselves and behave foolishly. Other symptoms can include marked dullness and a sluggish (lazy) mental state, possibly linked with an inability to study or concentrate.
Physical Symptoms
These symptoms may be accompanied by prostration (physical and emotionally exhaustion) with a sense of staleness (split into pieces), or anxiety with associated nervous diarrhea. Aethusa is also appropriate for children with milk intolerance, notably babies who are prone to sudden vomiting after feeding, and also have diarrhea. Lack of nutrition (malnutrition) may set up a cycle of hunger, frequent feeding, and subsequent violent vomiting. This may result in a state of extreme exhaustion and collapse (fall down because of illness), causing the baby’s face to appear drawn, agonized (showing worry or pain), and aged. It may also seem as though the baby’s whole body has enlarged, particularly in the heart area or degeneration of heart.
Modalities
Symptoms Amelioration - open air, walking; company and conversation, rest.
Symptoms Aggravation - warmth and hot weather, between 3 a.m. and 4 a.m., overexertion, eating frequently, for milk.
MATERIA MEDICA 2
AETHUSA
Aethusa cynapium
Athusa Cynapium - यह बच्चों की बीमारीकी महौषधि है । पाकस्थली और आँतोंकी बीमारीकी वजहसे किसी तरह स्नायु-विकार हो तो उसपर और मस्तिष्कपर इसकी प्रधान क्रिया होती है। इसके मानसिक लक्षण - लड़का कुन्द बुद्धि, बेचैन, उत्कण्ठित और लगाताररोया करता है। बच्चोंकी-सी प्रकृतिवाले वृद्ध ।
चरित्रगत लक्षण -
बच्चेको दूध या दूधसे बनी कोई चीज सहन नहीं होना, दाँत निकलनेके समय या गरमीके दिनों में बच्चेको हैजा, अतिसार, दस्त, कै, खींचन-अकड़न इत्यादि रोग, बहुत कमजोरी, सिर ऊँचा न कर सकना, दूध पीनेके बाद बड़े-बड़े थक्कोंमें वमन हो जाना या पीनेके बाद ही जोरसे वमन होना, कै होनेके बाद एकदम सुस्त हो जाना, तन्द्राका भाव, खानेके प्रायः एक घण्टा बाद वमन, हरे रंगका वमन, अकड़न, मृगीकी तरह खींचन, अंगूठा मुट्ठीमें मुड़ना, चेहरा लाल, आँखकी पुतली स्थिर और बड़ी होना, मुँह में फेन, दाँती लगना ; नाड़ी तेज और कड़ी, ऊपर लिखे किसी भी लक्षण के साथ बच्चोंका पक्षाघात ( infantile paralysis : बच्चोंका लकवा ) । बच्चोंका अतिसार और हैजा-पाखानेका रङ्ग हलका पीला या हलका हरा, कभी पानीकी तरह पतला दस्त, उसमें आँव या खून मिला रहना, पाखानेके साथ ही पेटमें दर्द, वेग और कूथन खूब ज्यादा रहना । अकसर देखा जाता है कि बच्चोंको इस तरह दस्त आते-आते अन्तमें बीमारी हैजामें परिणत हो जाती है ; उस समय दूध भी बिलकुल सहन नहीं होता, बच्चे के दूध पीते ही दहीकी तरह थक्का थक्का वमन हो जाता है, के खूब जोरसे होती मुर्दे की तरह लक्षण है, अकसर दूध पानके बाद ही के होती है ; अगर कुछ देर तक दूध पेटने रह जाता है तो खूब बड़े-बड़े थक्कों के रूपमें के होती है, उसमें खट्टी गन्ध रहती है, और निस्तेज हो जाता है, नींद बिलकुल ही नहीं आती । यदि कुछ जरासा प्यास नहीं रहती । जो हो, इस तरह दस्त के होनेपर बच्चा एकदम कमजोर नींदका भाव होता भी है तो उसी समय हाथ-पैर काँप उठते हैं और नींद खुल जाती है। इसके बाद फिर नींद नहीं आती, बहुत छटपटाया करता है। इथूजामें हरएक बार दस्त - कै होनेके बाद बच्चा कुछ देर तक चुपचाप पड़ा रहता है। बच्चोंके हैजामें बुखार आकर नाड़ी क्षीण या नाड़ी लोप हो जाये और बराबर छटपटी रहे तो कुछ-कुछ आर्सेनिकके-से मालूम होते हैं ; ऊपर बताये हुए कितने ही लक्षण आर्सेनिकके रहनेपर भी आर्सेनिकमें प्यास रहती है ; पर इथूजामें प्यास बिलकुल ही नहीं रहती। इसके अलावा ऐसा भी देखा जाता है कि इस तरह दस्त कै होकर कभी-कभी बच्चों को अकड़न या टङ्कार पैदा हो जाता है। यदि यह दिखाई दे कि अकड़नके समय बच्चा अंगूठेको जोरसे मुट्ठी में दबाता है, टकटकी लगाकर ऊपरकी ओर देखता है, मुँहमें फेन भर आता है, जबड़े कड़े पड़ जाते हैं और सोनेपर हाथ-पैर काँप उठते हैं ; नाड़ी क्षीण और कड़ी हो जाती है तो इथूजासे ज्यादा लाभ होगा ; बच्चोंको दाँत निकलने के समय ऊपर बताये ढंगके दस्त-कै हों या किसी दूसरी बीमारीमें ये लक्षण रहें तो इथूजासे फायदा होगा। इथूजाके बाद - सलफरसे रोग अकसर आरोग्य हो जाता है। डॉ० पियर्सनका कहना है—सांघातिक प्रकारके गैस्ट्रो-इण्टेस्टाइनैल केटर ( पाकाशय और आँतों की सर्दी ) भी इससे आरोग्य होता है। बच्चोंकी इस बीमारीकी क्युफिया, कैल्केरिया, ऐण्टिम क्रूड, इपिकाक, एरण्डो, कॉलोस्ट्रम आदि और भी कई अच्छी-अच्छी दवाएँ हैं :- क्युफिया विस्कोसिसिमा ( cuphea viscosissima ) 0—–यह एक नयी दवा है। डॉ० सुसलरका कहना है-कैलि फॉस जैसे हैजाकी प्रायः सभी अवस्थाओंमें व्यवहृत होती है ; और इससे फायदा भी भरपूर दिखाई देता है। इसके अलावा—हैजाके दूसरे दूसरे लक्षणोंके सिवा बच्चोंको तेज बुखार, बेचैनी, नींद न आना आदि लक्षण रहनेपर – इससे और भी अधिक लाभ होता है । यह इथूजा, इयुफॉर्बिया, सिकेलि और आर्सेनिकके सदृश दवा है।
बिना पची चीजोंकी के, बच्चोंका हैजा, बहुत अम्ल होना, बार-बार हरे और पानी जैसे खट्ट े दस्त, खींचन और तेज दर्द, जोरका बुखार, बेचैनी और नींद न आना. बच्चोंका हैजा, आँव-रक्त, अम्ल, दहीकी तरहका वमन, दूध या खायी हुई चीजका अम्लमें परिणत हो जाना, खायी हुई चीज बिना पची अवस्था में या दूध-दहीके रूप में के हो जाना ; बच्चेको बार-बार हरे रंगके पानीकी तरह खट्ट दस्त आना और बहुत बेचैन हो जाना, पेटमें कुछ भी नहीं रहना, कुछ पाखाना लग आना, मानो मुँहसे पेटमें जाते ही मलद्वार से बाहर निकल जाता हो ; आमाशयका मल थोड़ा, पीते बार-बार थोड़ा-थोड़ा खून मिला मल, बहुत कूथन और तकलीफके साथ मलका निकलना, प्रबल ज्वर इत्यादि- क्युफियाके चरित्रगत लक्षण हैं ( ताजे वृक्षसे इसका मूल अर्क तैयार होता- फॉर्मला है)
कैल्केरिया कार्ब – इसका व्यवहार करनेके पहले इसकी धातुका सबसे पहले ख्याल कर लेना चाहिये । इसके दस्त भी खट्ट होते हैं और के भी खट्टी होती है, पर के खट्टी और पीले रङ्गकी रहनेपर भी इसमें इथूजाक तरह उतने बड़े-बड़े थक्के कैके साथ नहीं निकलते। इसके अलावा कैल्केरियाकी तरह इथूजाके दस्तके साथ जमा हुआ दूध भी नहीं निकलता ।
ऐण्टिम क्रूड - बच्चा जो खाता है प्रायः सब वही दस्तके साथ निकल जाना। जमे हुए दूधकी के होना ; पर इथूजाकी तरह इतने बड़े-बड़े दहीकी तरह थक्का-शुदा वमन इसमें नहीं होता । इसके अलावा — इसमें इथूजाकी तरह उतने जोरसे वमन नहीं होता । ऐण्टिम क्रूड में – वमन के बाद बच्चा स्तन पान करना नहीं चाहता, उसकी जीभपर सफेद लेप रहता है, जैसे दूध लगा हुआ है ; बच्चा हमेशा चिड़चिड़ा बना रहता है
इपिकाक — इसमें वमनकी अपेक्षा मिचली अधिक रहती है, दस्तका रङ्ग घास या कुचले हुए पत्तोंकी तरह हरा होता है; कभी थोड़ा हरा, कभी हरा-पीला मिला, जिसमें थूक या फेनकी तरह पदार्थ मिला रहता है ।
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